सपना पूजा आकांक्षा जागृति आशा विश्वासा साधना ::::::सच्चिदानंद
सोचते हैं कि
अब तो उन्हें पाने कि न तो आशा है न विश्वासा और न ही आकांक्षा।
क्योंकि इंटरनेट ने प्रेम की यथा स्थिति से परिचय करवा दिया है।
फिर भी भ्रम की स्थिति भी तो अच्छी थी क्योंकि उसी
भ्रम ने हमारे सदाचार, पवित्रता और कर्म की रक्षा की
हमें भटकने से बचाया।
और आज जब सच जान चुके हैं तो
किंकर्तव्यविमूढ़ता की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
ब्रह्मा जी ही हमारी रक्षा करें।
तब कितना पवित्र थे और अब!!!!?????
अब तो उन्हें पाने कि न तो आशा है न विश्वासा और न ही आकांक्षा।
क्योंकि इंटरनेट ने प्रेम की यथा स्थिति से परिचय करवा दिया है।
फिर भी भ्रम की स्थिति भी तो अच्छी थी क्योंकि उसी
भ्रम ने हमारे सदाचार, पवित्रता और कर्म की रक्षा की
हमें भटकने से बचाया।
और आज जब सच जान चुके हैं तो
किंकर्तव्यविमूढ़ता की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
ब्रह्मा जी ही हमारी रक्षा करें।
तब कितना पवित्र थे और अब!!!!?????
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