मत घमंड करना अपने सौंदर्य का क्योंकि हमारा स्नेह इस भ्रम के वशीभूत था कि तू संगिनी थी हर जन्म की और मैं तो कवि हूँ श्री ब्रह्मा जी की कृपा से

भ्रम वश स्नेह

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